न कोई मौसम न समय न वजह ,
इन दंगो का होना आम हो गया जगह जगह ,
धार्मिक स्थलों के पास हड्डी के टुकडो का मिलना ,
या नमाज के ऐन वक्त पर जय बजरंगदल कह उठना,
कुछ स्वार्थी और साम्प्रदायिक लोगो की वजह से ,
लाखो गरीब नासमझ और मासूम लोगो का मरना ,
जिनके मॉल और जान की बातें मामूली बनकर रह जाती ,
लेकिन इन बददिमागी धतूरे की फसल को तब भी शर्म नहीं आती,
इस साम्प्रदायिक आग को हवा दे रहा कौन ,
सरकार भी इस प्रशन पर रहती है मौन ,
इन सवालों का हाल देश के उस आदमी के पास है , जो न कांग्रेश और न ही बी.जे.पी.के साथ है ,
जिसको अपना धर्म ईमान बच्चे प्यारे प्यारे माँ और बाप,
वह इन बददिमागी हैवानो की करामातो को कैसे करे माफ़ ,
वही वाशिंदा गुजरात का वही मथुरा अयोध्या काशी का ,
और वही मरकाना पाली उदयपुर में रहता है ,
जिन बातोंका कोई आधार नहीं ,
उन्हें दोहराते रहने से देश का हित नहीं अहित होता है ;;;;;;;;;;;;
आजाद सिंह पंवार
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें