जैसे ही मैं सवेरे उठा ,एक सज्जन को पिटते हुए देखा ,
उम्र भी लगभग पचास वर्ष रही होगी ,
हम भी पहुँच गए धीरे- धीरे चलकर ,
हमने पूछा आँख मलकर ,
क्यों भाई कौन है ये ,क्या अपराध है इसका ,
एक दर्शक बोले ,अपराध तो कोई खास नहीं इसका ,
क्या कहें कहते भी शर्म आती है ,
हम कुछ समझे कुछ नहीं ,
हमने अधिक जानने की कोशिश नहीं की ,
दूसरी और ,जो सज्जन पिटाई किए जा रहे थे ,
पिटाई करते हुए कहे जा रहे थे ,क्यों साले दूसरे की बहनों को छेड़ता है, , गलियों में चलती औरतों को ताकता है ,
दूसरो के घरो में झांकता है ,
इसी कहा -कहीके बीच,
एक के बाद एक चप्पल, सज्जन के सिर पर पड़े जा रहे थे ,
दर्द के मरे सज्जन कराह रहे थे ,
इससे अगला सीन हमसे देखा न गया ,
क्योंकि ..सज्जन को एक महापुरुष घसीटने लगा ,.....................
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