बिल्ली का बच्चा बैठा छत पर ,म्याऊँ म्याऊँ करता ,
देख-देख इन्सान को वह ,अपनी भूख को प्रकट करता ,
कोई न सुनता उसकी, सब अपनी-अपनी कहते ,
आखिर चोरो तरफ देख,बच्चा जोर-जोर से चिल्लाने लगा ,
वह रो-रो कर ,अपनी माँ को आवाज लगा ,
लेकिन कुमाता का, कहीं पता नहीं था ,
वह रोया चिल्लाया लेकिन ,उसके पास कोई नहीं आया ,
बच्चा निःसहाय होकर गिर पड़ा ,बच्चे को पड़ा देख ,
एक के बाद एक असमाजिक तत्व आने लगे ,
बच्चे को घायल कर तडफाने लगे ;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;----
आजाद सिंह पंवार
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