लडकी के चक्कर में पड़कर,
अपने ही दोस्तों से लड़कर ,
एम्.ए.तक पढ़कर ,
किया अपने को बर्बाद ,
यारो चले थे घर से लड़कर ,
आये कंडक्टर से लड़कर ,
किसी अंधे से भिड़कर ,
अंधे की उपाधि लेकर ,
आये थे कालेज ,
आते ही कालेज बन गये शेर ,
शरीफ लडके लडकियों को सताना या ,
इससे भी बढ़कर हरकत करना ही था जीवन लक्ष्य ,
किसी लडकी को लेकर एक दिन हुआ हंगामा भारी ,
कोई चाकू कोई छुरी तो कोई ले आया बारी,
एक ने दूसरे को चाकू छुरी मारी ,
हुए हाल बेहाल ,
यारो खून से वस्त्र हुए सारे लाल ,
लडकियाँ खड़ी मुस्करा रही थी ,
अक्ल के दुश्मनों को ,
तब भी शर्म नहीं आ रही थी ;;;;;;
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