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मंगलवार, 28 जनवरी 2014

'कन्या भूर्ण हत्या '[ अजन्मी बेटी की मौत]

मै पूछ रही हूँ मात-पिता से,क्या था मेरा दोष.
पैदा होने से पहले ही,उड़ा दिए मेरे होश.
यद्यपि तुमने पैदा किया,फिर भी पैदा न होने दिया.
माँ तू तो मेरी जननी थी,फिर मुझे किन कर्मो की सजा भरनी थी.
यदि दहेज से डरते हो,तो फिर पैदा ही क्यों करते हो.
अरे सोचो तुम्हारे ये बेटे,क्या गुल खिलाएंगे.
तुम्हारे मरने के बाद ,पैतृक सम्पत्ति में से.
तुम्हारा नाम कटवाकर,अपना नाम लिखवायेंगे.
यदि आप गर्भाशय को, बनाओगे कब्रस्तान.
तो कैसे होगा विकसित प्यारा हिन्दुस्तान.
अरे बेटियां जैसे ही माँ-बाप की ,मर्त्यु का समाचार पाती हैं.
जैसी भी स्थिति में होती है,दौड़ीं चली आती हैं.
बेटियां हिन्दू कोड- बिल १९७५ के बारे में सबकुछ जानती हैं.
फिर भी पैतृक सम्पत्ति में,अपना हिस्सा नहीं मांगती हैं.
क्या कभी सोचा तुमने संसार के रचयिता के बिना,संसार कैसे चल पायेगा.
यदि यही हाल रहा तो बिना आग लगाये ही,अखिल ब्रह्माण्ड जल जायेगा.
अल्ट्रासाऊंड से जाँच करा,यों बेटियों को मरवाओगे.
संसार चलेगा कैसेआगे,बेटे को बहू कहाँ से लाओगे.
कह दो इन बेटे वालो से,दहेज की खातिर यों लड़की को मरवाओगे.
आने वाले समय में बेटे की शादी,क्या अपनी बूढी माँ संग रचाओगे.
                                                                        सआभार
                                                                            गजेन्द्रसिंह 'राजपूत'