बच्चो खेलो कूदो खूब हंसो ,
कभी बुरी संगति में न फंसो ,
यदि कोई कोशिश करे फ़साने की ,
आप कोशिश करो निकल आने की ,
यदि इससे भी न कम चले ,
फिर आप न बने भले ,
करे अत्याचारी का ऐसा पर्दाफाश,
पता लग जाए आस पास,
ऐसा संगठन करो तैयार ,
जो अत्याचारी को पिलाए मार ,
मिल सब करो देश का उद्धार ,
यही है सबसे बड़ा उपकार ...............................
भावना पंवार
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शुक्रवार, 29 अक्तूबर 2010
मंगलवार, 19 अक्तूबर 2010
aadhunik svatantrta
देश एक खेत है ,आप भी चरिए,
सभी चर रहे है,मिलजुल कर प्रगति कर रहे है,
उन्ही का तंत्र है. वही स्वतंत्र है ,
उन नेताओ का क्या?जो छंटे हुए स्वतंत्र है,
स्वतन्त्र लोगो ने उन्हें,अपने बीच से छांटकर जो भेजा है,
जाओ तुम्हारे अन्दर कुछ ज्यादा ही स्वतंत्रता है,
जाकर विधान सभा में अपनी स्वतंत्रता का जोहर दिख़ाओ,
जब वे माइक को अस्त्र,जूते को शस्त्र बनाते है,
तब वे साक्षात् स्वतंत्र नजर आते है,
सभी चर रहे है,मिलजुल कर प्रगति कर रहे है,
उन्ही का तंत्र है. वही स्वतंत्र है ,
उन नेताओ का क्या?जो छंटे हुए स्वतंत्र है,
स्वतन्त्र लोगो ने उन्हें,अपने बीच से छांटकर जो भेजा है,
जाओ तुम्हारे अन्दर कुछ ज्यादा ही स्वतंत्रता है,
जाकर विधान सभा में अपनी स्वतंत्रता का जोहर दिख़ाओ,
जब वे माइक को अस्त्र,जूते को शस्त्र बनाते है,
तब वे साक्षात् स्वतंत्र नजर आते है,
बुधवार, 6 अक्तूबर 2010
anaitikta ka fal
जैसे ही मैं सवेरे उठा ,एक सज्जन को पिटते हुए देखा ,
उम्र भी लगभग पचास वर्ष रही होगी ,
हम भी पहुँच गए धीरे- धीरे चलकर ,
हमने पूछा आँख मलकर ,
क्यों भाई कौन है ये ,क्या अपराध है इसका ,
एक दर्शक बोले ,अपराध तो कोई खास नहीं इसका ,
क्या कहें कहते भी शर्म आती है ,
हम कुछ समझे कुछ नहीं ,
हमने अधिक जानने की कोशिश नहीं की ,
दूसरी और ,जो सज्जन पिटाई किए जा रहे थे ,
पिटाई करते हुए कहे जा रहे थे ,क्यों साले दूसरे की बहनों को छेड़ता है, , गलियों में चलती औरतों को ताकता है ,
दूसरो के घरो में झांकता है ,
इसी कहा -कहीके बीच,
एक के बाद एक चप्पल, सज्जन के सिर पर पड़े जा रहे थे ,
दर्द के मरे सज्जन कराह रहे थे ,
इससे अगला सीन हमसे देखा न गया ,
क्योंकि ..सज्जन को एक महापुरुष घसीटने लगा ,.....................
उम्र भी लगभग पचास वर्ष रही होगी ,
हम भी पहुँच गए धीरे- धीरे चलकर ,
हमने पूछा आँख मलकर ,
क्यों भाई कौन है ये ,क्या अपराध है इसका ,
एक दर्शक बोले ,अपराध तो कोई खास नहीं इसका ,
क्या कहें कहते भी शर्म आती है ,
हम कुछ समझे कुछ नहीं ,
हमने अधिक जानने की कोशिश नहीं की ,
दूसरी और ,जो सज्जन पिटाई किए जा रहे थे ,
पिटाई करते हुए कहे जा रहे थे ,क्यों साले दूसरे की बहनों को छेड़ता है, , गलियों में चलती औरतों को ताकता है ,
दूसरो के घरो में झांकता है ,
इसी कहा -कहीके बीच,
एक के बाद एक चप्पल, सज्जन के सिर पर पड़े जा रहे थे ,
दर्द के मरे सज्जन कराह रहे थे ,
इससे अगला सीन हमसे देखा न गया ,
क्योंकि ..सज्जन को एक महापुरुष घसीटने लगा ,.....................
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