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गुरुवार, 27 फ़रवरी 2014

आजकल पूर्वप्रधानमंत्री राजीवगाँधी हत्यारो को लेकर जो खबरें विभिन्न समाचार चैनलो के माध्यम से प्रसारित हो रही है। उन खबरो का विश्लेषण करने पर यही प्रतीत होता है कि राजीव गांधी की हत्या में तत्कालीन तमिल सरकार की भूमिका रही होगी। 

शुक्रवार, 21 फ़रवरी 2014

"न्यायोचित"

प्रायः यह देखा जाता है कि जो आम जन है उसको लगभग सभी विभागो में जानबूझ कर परेशान किया जाता है। आमजन सबकुछ चुपचाप सहन करता रहता है लेकिन कभी -कभी आमजन के सब्र का बाँध टूट जाता है और वह हिम्मत करके न्याय पाने के लिए न्यायालय का दरवाजा खटखटाता है। उसको देर से ही सही न्याय भी मिल जाता है ,लेकिन क्या ऐसी व्यवस्था नही हो  सकती कि जो पीड़ित न्याय पाने के लिए न्यायालय आया है उसको पूर्ण न्याय दिलाने के लिए न्यायालय यह भी संज्ञान ले कि जिस  कर्मचारी या अधिकारी के द्वारा पीड़ित को प्रताड़ित किया गया उसके विरुद्ध भी दंडात्मक कार्यवाही के आदेश पारित किये जाये।  यदि ऐसी व्यवस्था सम्भव हो सके ,तो जो अधिकारी या कर्मचारी आमजन को परेशान करते है उन पर अंकुश लगेगा और न्यायालयों में वादो की संख्या में भी अविश्वसनीय कमी आयेगी। ऐसा मेरा विचार है। 

मंगलवार, 28 जनवरी 2014

'कन्या भूर्ण हत्या '[ अजन्मी बेटी की मौत]

मै पूछ रही हूँ मात-पिता से,क्या था मेरा दोष.
पैदा होने से पहले ही,उड़ा दिए मेरे होश.
यद्यपि तुमने पैदा किया,फिर भी पैदा न होने दिया.
माँ तू तो मेरी जननी थी,फिर मुझे किन कर्मो की सजा भरनी थी.
यदि दहेज से डरते हो,तो फिर पैदा ही क्यों करते हो.
अरे सोचो तुम्हारे ये बेटे,क्या गुल खिलाएंगे.
तुम्हारे मरने के बाद ,पैतृक सम्पत्ति में से.
तुम्हारा नाम कटवाकर,अपना नाम लिखवायेंगे.
यदि आप गर्भाशय को, बनाओगे कब्रस्तान.
तो कैसे होगा विकसित प्यारा हिन्दुस्तान.
अरे बेटियां जैसे ही माँ-बाप की ,मर्त्यु का समाचार पाती हैं.
जैसी भी स्थिति में होती है,दौड़ीं चली आती हैं.
बेटियां हिन्दू कोड- बिल १९७५ के बारे में सबकुछ जानती हैं.
फिर भी पैतृक सम्पत्ति में,अपना हिस्सा नहीं मांगती हैं.
क्या कभी सोचा तुमने संसार के रचयिता के बिना,संसार कैसे चल पायेगा.
यदि यही हाल रहा तो बिना आग लगाये ही,अखिल ब्रह्माण्ड जल जायेगा.
अल्ट्रासाऊंड से जाँच करा,यों बेटियों को मरवाओगे.
संसार चलेगा कैसेआगे,बेटे को बहू कहाँ से लाओगे.
कह दो इन बेटे वालो से,दहेज की खातिर यों लड़की को मरवाओगे.
आने वाले समय में बेटे की शादी,क्या अपनी बूढी माँ संग रचाओगे.
                                                                        सआभार
                                                                            गजेन्द्रसिंह 'राजपूत'


रविवार, 15 दिसंबर 2013

bhagya aur karam

भाग्य कर्म का मर्म समझना दुर्गम अति असंभव !
देह्जनित अभिमान तजे जो उसको होता अनुभव!!
भाग्य समझ लो अंतरात्मा ,देह कर्म का घर है!
निश्छल ईश्वर भाग्य समझ लो ,जगत कर्म निर्भर है !!
भाग्य बनी है लाईन,कर्म की चलती उस पर गाड़ी !
भाग्य रूप धागों से मिलकर जैसे बनती साड़ी!!
माता -पिता हैं भाग्य ,कर्म के बनते पुत्र और पुत्री !
संत सरे कह गए जगत में  खोल हरदय की सूत्री !!

रविवार, 6 अक्तूबर 2013

"लड़की का चक्कर"

लड़की के चक्कर में पड़कर ,
अपने ही दोस्तों से लड़कर ,
M.A. तक पढ़कर ,
किया अपने को बर्बाद,

यारो चले थे घर से झगड़कर,
आये थे कंडक्टर से लड़कर,
किसी अंधे से भिड़कर,
अंधे की चोली पहनकर,
आये थे कॉलेज,

आते ही कॉलेज में बन गए शेर,
किसी शरीफ लड़के-लड़की को परेशान करना,
या इससे भी बढ़कर हरकत करना,
ही था जीवन लक्ष्य,

किसी लड़की को लेकर,
हुआ एक दिन हंगामा भारी,
कोई चाकू कोई छुरी,
तो कोई ले आया बारी

एक ने दुसरे को चाक़ू छुरी मारी,
हुए हाल बेहाल,
यारो खून से वस्त्र हुए सारे लाल,
लड़कियाँ खड़ी मुस्करा रही थी,

अकल के दुश्मनों को,
 तब भी शर्म नहीं आ रही थी!!