बिल्ली का बच्चा बैठा छत पर ,म्याऊँ म्याऊँ करता ,
देख-देख इन्सान को वह ,अपनी भूख को प्रकट करता ,
कोई न सुनता उसकी, सब अपनी-अपनी कहते ,
आखिर चोरो तरफ देख,बच्चा जोर-जोर से चिल्लाने लगा ,
वह रो-रो कर ,अपनी माँ को आवाज लगा ,
लेकिन कुमाता का, कहीं पता नहीं था ,
वह रोया चिल्लाया लेकिन ,उसके पास कोई नहीं आया ,
बच्चा निःसहाय होकर गिर पड़ा ,बच्चे को पड़ा देख ,
एक के बाद एक असमाजिक तत्व आने लगे ,
बच्चे को घायल कर तडफाने लगे ;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;----
आजाद सिंह पंवार
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गुरुवार, 30 सितंबर 2010
रविवार, 26 सितंबर 2010
sampedayik dange
न कोई मौसम न समय न वजह ,
इन दंगो का होना आम हो गया जगह जगह ,
धार्मिक स्थलों के पास हड्डी के टुकडो का मिलना ,
या नमाज के ऐन वक्त पर जय बजरंगदल कह उठना,
कुछ स्वार्थी और साम्प्रदायिक लोगो की वजह से ,
लाखो गरीब नासमझ और मासूम लोगो का मरना ,
जिनके मॉल और जान की बातें मामूली बनकर रह जाती ,
लेकिन इन बददिमागी धतूरे की फसल को तब भी शर्म नहीं आती,
इस साम्प्रदायिक आग को हवा दे रहा कौन ,
सरकार भी इस प्रशन पर रहती है मौन ,
इन सवालों का हाल देश के उस आदमी के पास है , जो न कांग्रेश और न ही बी.जे.पी.के साथ है ,
जिसको अपना धर्म ईमान बच्चे प्यारे प्यारे माँ और बाप,
वह इन बददिमागी हैवानो की करामातो को कैसे करे माफ़ ,
वही वाशिंदा गुजरात का वही मथुरा अयोध्या काशी का ,
और वही मरकाना पाली उदयपुर में रहता है ,
जिन बातोंका कोई आधार नहीं ,
उन्हें दोहराते रहने से देश का हित नहीं अहित होता है ;;;;;;;;;;;;
आजाद सिंह पंवार
इन दंगो का होना आम हो गया जगह जगह ,
धार्मिक स्थलों के पास हड्डी के टुकडो का मिलना ,
या नमाज के ऐन वक्त पर जय बजरंगदल कह उठना,
कुछ स्वार्थी और साम्प्रदायिक लोगो की वजह से ,
लाखो गरीब नासमझ और मासूम लोगो का मरना ,
जिनके मॉल और जान की बातें मामूली बनकर रह जाती ,
लेकिन इन बददिमागी धतूरे की फसल को तब भी शर्म नहीं आती,
इस साम्प्रदायिक आग को हवा दे रहा कौन ,
सरकार भी इस प्रशन पर रहती है मौन ,
इन सवालों का हाल देश के उस आदमी के पास है , जो न कांग्रेश और न ही बी.जे.पी.के साथ है ,
जिसको अपना धर्म ईमान बच्चे प्यारे प्यारे माँ और बाप,
वह इन बददिमागी हैवानो की करामातो को कैसे करे माफ़ ,
वही वाशिंदा गुजरात का वही मथुरा अयोध्या काशी का ,
और वही मरकाना पाली उदयपुर में रहता है ,
जिन बातोंका कोई आधार नहीं ,
उन्हें दोहराते रहने से देश का हित नहीं अहित होता है ;;;;;;;;;;;;
आजाद सिंह पंवार
गुरुवार, 16 सितंबर 2010
suhavne mousam ki sair
s शाम के लगभग सात बजे होंगे ,मौसम बड़ा सुहावना था .उसी समय चार दोस्त टहलने निकले ,वे आपस में बातें करते आगे बढ़े ही थे ,तभी उन्हें एक सुन्दर लडकी दिखाई दी .उसे देखकर उनमें से एक ने कहा -
आए-हाय !जानेमन कैसी हो ,
लडकी संकुचाकर आगे बढ़ी ही थी ,
दूसरे ने आवाज लगाई ,
ओय होय मेरी जान दिल तोड़कर कहाँ चली ,
लडकी ने इस पर भी कोई जबाब नहीं दिया ,
तब तीसरा उछलता हुआ उसके पास पहुचा ,
और बोला भाभी जी जरा इधर तो आइये ,
इस पर लडकी को गुस्सा आ गया ,
उसने पैर में से चप्पल निकालकर,
उसके सर पर पटकनी शुरू की ,
यह देख उसके साथी भाग खड़े हुए ,
उनको भागते हुए देख लडकी ने कहा, आ जरा तुम्हारा भी दिल जोड़ दूं !!!!!!!!!!
आए-हाय !जानेमन कैसी हो ,
लडकी संकुचाकर आगे बढ़ी ही थी ,
दूसरे ने आवाज लगाई ,
ओय होय मेरी जान दिल तोड़कर कहाँ चली ,
लडकी ने इस पर भी कोई जबाब नहीं दिया ,
तब तीसरा उछलता हुआ उसके पास पहुचा ,
और बोला भाभी जी जरा इधर तो आइये ,
इस पर लडकी को गुस्सा आ गया ,
उसने पैर में से चप्पल निकालकर,
उसके सर पर पटकनी शुरू की ,
यह देख उसके साथी भाग खड़े हुए ,
उनको भागते हुए देख लडकी ने कहा, आ जरा तुम्हारा भी दिल जोड़ दूं !!!!!!!!!!
बुधवार, 15 सितंबर 2010
divangi
लडकी के चक्कर में पड़कर,
अपने ही दोस्तों से लड़कर ,
एम्.ए.तक पढ़कर ,
किया अपने को बर्बाद ,
यारो चले थे घर से लड़कर ,
आये कंडक्टर से लड़कर ,
किसी अंधे से भिड़कर ,
अंधे की उपाधि लेकर ,
आये थे कालेज ,
आते ही कालेज बन गये शेर ,
शरीफ लडके लडकियों को सताना या ,
इससे भी बढ़कर हरकत करना ही था जीवन लक्ष्य ,
किसी लडकी को लेकर एक दिन हुआ हंगामा भारी ,
कोई चाकू कोई छुरी तो कोई ले आया बारी,
एक ने दूसरे को चाकू छुरी मारी ,
हुए हाल बेहाल ,
यारो खून से वस्त्र हुए सारे लाल ,
लडकियाँ खड़ी मुस्करा रही थी ,
अक्ल के दुश्मनों को ,
तब भी शर्म नहीं आ रही थी ;;;;;;
अपने ही दोस्तों से लड़कर ,
एम्.ए.तक पढ़कर ,
किया अपने को बर्बाद ,
यारो चले थे घर से लड़कर ,
आये कंडक्टर से लड़कर ,
किसी अंधे से भिड़कर ,
अंधे की उपाधि लेकर ,
आये थे कालेज ,
आते ही कालेज बन गये शेर ,
शरीफ लडके लडकियों को सताना या ,
इससे भी बढ़कर हरकत करना ही था जीवन लक्ष्य ,
किसी लडकी को लेकर एक दिन हुआ हंगामा भारी ,
कोई चाकू कोई छुरी तो कोई ले आया बारी,
एक ने दूसरे को चाकू छुरी मारी ,
हुए हाल बेहाल ,
यारो खून से वस्त्र हुए सारे लाल ,
लडकियाँ खड़ी मुस्करा रही थी ,
अक्ल के दुश्मनों को ,
तब भी शर्म नहीं आ रही थी ;;;;;;
सोमवार, 13 सितंबर 2010
dahej
आज दहेज़ प्रथा एक अभिशाप बन चुकी है इस युग मै लडके के माता पिता लडके की अच्छी कीमत मांगते है .यदि उन्हें उनकी सोच से कम कीमत मिलती है तो बहू को विभिन्न प्रकार से प्रताड़ित किया जाता है .चाहे बहू कितनी भी सुंदर और गुणवान क्यों न हो .बात -बात पर उसे व उसके माता पिता को अपमानित किया जाता है .यह क्यों होता है .मुख्य रूप से इसका कारण हमारी मानसिकता है क्योंकि हम चाहते है की हमारी लडकी की शादी हमसे ऊचें घराने में हो.हमें अपनी सोच बदलनी होगी .हमें अच्छा घर नही अच्छा वर देखकर शादी करनी होगी .तभी इस कुप्रथा से छुटकारा मिल सकेगा ;
शनिवार, 11 सितंबर 2010
adarsh chhatra
aछात्र को कौए के समान चेष्टाशील ,बगुले के समान ध्यानरत ,कुत्ते के समान कम सोने वाला ,कम खाने वाला तथा ज्ञान प्राप्ति के लिए घर का त्याग करने वाला होना चाहिए .छात्र को अनुशासित, आज्ञाकारी ,परिश्रमी तथा विन्रम होना चाहिए एवं सादगी का जीवन बिताना चाहिए .जो छात्र इसके विपरीत आचरण करते है ,वे कम ही सफल होते है .
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